पाठ 3

प्रतिदिन की उपासना

अब जब यह नया जन्मा आत्मिक बच्चा साँस ले रहा है , तो इसे भोजन की भी आवश्यकता होगी। पाठ 3 हमें यह सिखाती है कि कैसे हमें पवित्रशास्त्र का अध्ययन करना है और कैसे अपने प्रतिदिन के जीवन से परमेश्वर की आराधना करनी है। एक व्यक्ति को सही रीती से जान पाने के लिए आपको उस व्यक्ति के साथ निरंतर संपर्क में रहना होगा। इन पंक्तियों के साथ ही यदि आप परमेश्वर से एक नज़दीकी रिश्ता बनाना चाहते हैं , तब आपको प्रतिदिन एक समय सुनिश्चित करना होगा। हम प्रतिदिन के मनन के लिए एक समय ठहराते हैं।

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I. हमारी उपासना के समय का आशय

A. प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर से बातें करें

B. पवित्रशास्त्र के पढ़े जाने के द्वारा परमेश्वर मुझसे बातें करें

II. हमारी उपासना के समय का उद्देश्य

A. परमेश्वर की आराधना करने के लिए - परमेश्वर मेरा स्वागत करते हैं

B. परमेश्वर के साथ संगती - हम अपने चिंताओं को बाँटते हैं

C. परमेश्वर के द्वारा मार्गदर्शन पाने के लिए - मैं अपने जीवन में परमेश्वर का स्वागत करता हूँ।

 

III. हमारी उपासना के समय का स्वभाव

परमेश्वर के प्रति भजनकार का क्या स्वभाव है ?

  • भजन 42:1-2

  • भजन 119:147-148

 

IV. पवित्रशास्त्र से उदहारण

पवित्रशास्त्र में से इन लोगों ने कैसे परमेश्वर को ढूँढा और उसे जाना ?

पद

व्यक्ति

समय

स्थान

गतिविधि

उत्पति 19:27

अब्राहम

प्रातः

 

परमेश्वर से मिला

भजन 5:3

 

 

 

 

दानिय्येल 6:10

 

 

 

 

मरकुस 1:35

 

 

 

 

 

ऊपर दिए गए उदहारण से , आप अपने जीवन में परमेशवर के साथ समय बिताने के विषय में क्या अनुप्रयोग लागू कर सकते हैं ?

 

V. आत्मिक जीवन के लिए सलाह और उपकरण

A. पवित्रशास्त्र : वचन लिख लें , इसे पढ़ें , और पढ़ने के द्वारा जो आपने सीखा उसे लिख लें। वचन पर मनन करें। याद रखें कि पवित्रशास्त्र जो कहती है उसे आप नहीं बदल सकते हैं लेकिन यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है उसे आप नियंत्रित कर सकते हैं। उपासना सम्बंधित बहुतेरे पुस्तक हैं लेकिन इनमे से कोई भी पवित्रशास्त्र का स्थान नहीं ले सकती। मानवजाति के चार बड़े सवालों का उत्तर पवित्रशास्त्र में हम पाते हैं।हमारी उत्पति कैसे हुई ? मैं क्यों जीवित हूँ ? मुझे जीवन कैसे जीना चाहिए ? भविष्य में मैं कहाँ जाऊँगा ?

B. कलम और कॉपी : उपासना के समय , अपने विचारों को और आपको जो लगता है परमेश्वर कह रहे हैं उसे लिख लें। और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है ,” ( व्यवस्था . 8:2) जिन्हें प्रार्थना की आवश्यकता है उनके नाम और उनकी आवश्यकता है भी लिख लें। और इन प्रार्थना के उत्तरों को भी लिख लें ताकि आप अपने आप को प्रोत्साहित कर सकें।

C. स्थान : ऐसे स्थान की नियुक्ति करें जहाँ आप बिना कसी विकर्षण के परमेश्वर के साथ मिल सकते हैं। परमेश्वर चाहते हैं कि जब आप उससे मिले तब आप ध्यान केंद्रित हों।

D. समय : ऐसे उचित समय की नियुक्ति करें जहाँ आप निरंतर परमेश्वर से मिल सके।

E. योजना : पवित्रशास्त्र के ऐसे पुस्तक का चुनाव करें जिसे आप अपने गति से पढ़ सकें , और फिर मनन करें , दर्ज करें , और आज्ञा मानें।

 

VI. परमेश्वर के साथ मिलने की तैयारी - आपका उपासना योजना

 

A. प्रार्थना करें : हे यहोवा , मेरी आँख खोल दे और मैं तेरी शिक्षाओं के भीतर देखूँगा।मैं उन अद्भुत बातों का अध्ययन करूँगा जिन्हें तूने किया है। .” भजन 119:18

B. तैयारी करें : आपको जिन वस्तुओं की आवश्यकता है उन्हें इकट्ठा करें और शांत जगह ढूंढे। अपने हृदय को तैयार करें और परमेश्वर का इंतज़ार करें। अपने पापों को अंगीकार करें।

C. परमेश्वर को ढूँढे : वचन के परिच्छेद को पढ़ें। इस बात पर चिंतन करें की यह कैसे आपसे जुड़ी है।आपने जो पढ़ा विषय में परमेश्वर से बात करें। ऊपर दिए गए सूची के सभी बातों के विषय प्रार्थना करें।

D. अवलोकन करना : परमेश्वर नहीं जो आपको दर्शाया उसका पालन करें। आपने जो लिखा उसे दूसरों के साथ बांटे।

E. अतिरिक्त पठन : दूसरे समय में समय निकालकर वचन के बड़े हिस्से का पठन करें। पुराना नियम से 2 अध्याय और नया नियम से एक अध्याय प्रतिदिन पढ़ना शुरू करें। ऐसा करने के द्वारा आप पूरा पवित्र शास्त्र तकरीबन 1 वर्ष में पढ़ कर समाप्त कर सकते हैं।

 

VII. अपने उपासना के जीवन को बनाये रखने के लिए विश्वासयोग्य बने रहें

अपने प्रतिदिन के उपासना के समय को बरक़रार रखने के लिए प्रयत्न करें ; इस समय को अपने प्रतिदिन के जीवन का एक हिस्सा बना लें।

  1. प्रतिदिन परमेश्वर से मिलने का निर्णय आपका है।यदि आप परमेश्वर के साथ प्रतिदिन का समय ठहराते हैं, आप अपने आत्मिक जीवन में बढ़ पाएंगे।

  2. इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, “उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।(मती 6:33).इस संसार में प्राप्त होने वाली सभी बातें, परमेश्वर के साथ रहने की बात से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकती।

  3. आपके लिए परमेश्वर के लक्ष्यों में से एक यह है कि आप उसके साथ संगति करें और उसे जाने। आपका लक्ष्य परमेश्वर की स्तुति और आराधना करना होना चाहिए। हालाँकि उपासना का समय आपको बहुत से अच्छी भावनाएं ज्ञान और बहुत सारी आशीष दे सकता है लेकिन मुख्य उद्देश्य परमेश्वर को जानना और उसकी आराधना करना है।

आपका समर्पण

क्या आप प्रतिदिन के उपासना के लिए समर्पण करते हैं ? हाँ / नहीं

हस्ताक्षर :

शुरुआत की तारीख :

समय या दिन के समय :

स्थान :

नीचे अपने प्रतिदिन के उपासना योजना का वर्णन दे। आप कौन सी पुस्तकों को पढ़ रहे हैं ? आप कैसे प्राथना करेंगे ?

 

 

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