लम्बे रूप

यहाँ एक अच्छा उधारण प्राप होगा http://www.missionfrontiers.org/issue/article/any-3. हिन्दी मे ये उधारण यहाँ है.

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  1. पहला कदम : एक दूसरे से जुडे

3-4 मिनट - आप कैसे हैं?आप कौन हो?आत्म परिचय, बातचीत, आदि परिवर्तन # 1: "क्या आप हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, या ईसाई हैं?" कोई 3 व्यक्ति उत्तर दे : हाँ सारे धर्म एक जैसे है,है की नहीं ? हम सब परमेश्वर को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं,और कोशिस कर रहे है की हमारे पाप छमा हो सके। हम सब पापी हैं, है की नहीं ?

  1. दूसरा कदम :परमेश्वर तक पहुंचे।

बातचीत को अवलोकन के रास्ते पर लाये की अधिकांश धर्म एक जैसे है की नहीं ? अधिकांश धर्म ईश्वर को खुस करने की कोशिस कर रहे है ताकी उनके पाप का कर्ज छमा हो सके।

    र कहे : सभी धर्म अच्छे हैं क्योंकी वे हमें मार्ग दिखाते है की ईस्वर को कैसे खुश कीया जाये और हमें पालन करने के लिए अच्छा नियमों की एक सूची देते है। समस्या यह है की हम नियमों और पाप को तोड़ते है। पाप करना आसान है, लेकीन ईस्वर से हमारे पाप का कर्ज से छुटकारा मिलना,बहुत अधिक मुश्किल है,है ना? "आप "अपने धर्म में, अपने पाप के कर्ज का भुगतान करने के लिए क्या कर रहे है? या " आप अपने धर्म में, परमेश्वर को खुश करने के लिए क्या कर रहे है?" या "आप को अपने धर्म में, अपने पाप से मुक्ति और स्वतंत्रता पाने के लिए क्या करना चाहिए?"

      न्हें आप अपने "अच्छा काम" साझा करने के लिए अनुमति दें। ज्यादातर लोग ऐसा कहेंगे की मैं हर दिन पूजा करता हूँ, मैं अपने माता पिता का सम्मान करता हूँ, मैं एक अच्छा इंसान हूँ, आदि…मुसलमानों में से कुछ कह सकते है की मैं रमजान के दौरान उपवास रखता हूँ, मै एक दिन में 5 बार प्रार्थना करता हूँ, आदि..

      1. तीसरा कदम: खोय हुए तक पहुंचिए।

      फिर उनसे 3 प्रश्न पूछे :

      1) "क्या आपके पाप छमा हो गए अब तक ?" 2) "कब आपके पापों को माफ कर दिया जाएगा?" 3) " जब आप मरेंगे (या निर्णय के दिन ), क्या आप जानते हैं की आपके पापों को माफ कर दिया जाएगा?"

      परिवर्तन #3 : " मै क्या मानता हूँ अलग है; मै जानता हूँ की मेरा पाप क्षमा कीया गया है क्योंकी परमेश्वर ने हमारे लिए एक रास्ता बना दिया है की हमारे पाप क्षमा हो सके "

      1. चौथा चरण :

      सुसमाचार तक पहुंचे

      पहला और अंतिम बलिदान की कहानी बताये - 3 भाग

      पहला और अंतिम बलिदान की कहानी

      पहला भाग :-येसु, परमेश्वर का वचन शुरू से स्वर्ग में परमेस्वर के साथ था ,वह इस दुनिया में जन्म लिया एक कुंवारी इस्त्री मरियम के द्वारा,बाइबिल और दूसरे पवित्र पुस्तके भी यही सिखाती है,येसु ने कभी पाप नहीं कीया जब की उन्हें कई बार बहकाया गया हर एक कल्पनीय मार्ग में।येसु मसीह ने अपने शरीर की इच्छा को पराजय कीया।उन्होंने ने कभी शादी नहीं की ;कभी कीसी को नहीं मारा;कभी अपने लिए धन दौलत इकठा नहीं कीया ;येसु मसीह ने एक बार 40 दिनों और 40 रातो तक उपवास कीया शैतान द्वारा परीक्षा लेने के बावजूद उन्होंने कभी पाप नहीं कीया। येशु मसीह ने कई अदभूत एवं महान चमत्कार दिखाए।उन्होंने बुरी आत्माओ को बहार निकला ;बीमारियो को अन्धो को चंगइयो दिया।येशु मसीह यहाँ तक की मुर्दो में से जी उठा ;यह दिचस्प है की येशु बूढ़े नहीं हुए और वो अपने मृत्यु के बारे में पहले से बताने लगे।अपने चेलो से उन्होंने कहा "मै जरूर मरुंगा लेकीन मै फिर से जी उठूंगा : क्या आपको पता है की येशु ने क्यों कहा की मेरा मरना निश्चित है ?"

      दूसरा भाग : येशु को क्यों मरना पड़ा ? (आदम और हवा की कहानी) इसका जवाब हमें पवित्र शास्त्र में मिलेगा।ये हमें पहला इंसान (आदम और हवा) जिसे परमेस्वर ने बनाया था उसके बारे में बताता है।परमेस्वर ने उन्हें अदन की वाटिका में निपुणता से रखा था,उन्हें हर प्रकार की आजादी दी गयी थी की वे कीसी भी पेड़ का फल खा सकते है सिवाये भले-बुरे का ज्ञान का पेड़ का फल छोडकर।परमेस्वर ने उन्हें चेतावनी दिया था की अगर तुम उस पेड़ का फल खाओगे तो मर जाओगे। पाप की व्याख्या के लिए एक दिन शैतान हवा से सांप के रूप में मिलता है और उसे बहकता है उस फल को खाने के लिए जिसे खाने के लिए परमेश्वर ने मना कीया था।हवा वो फल खाती है साथ ही आदम को भी देती है जिसे वो भी खा लेता है।तभी अचानक वे डर जाते है और परमेश्वर से छिप जाते है लेकीन परमेस्वर सब कुछ जानते है सो वे उन्हें ढूंढ़कर आदम और हवा को उनकी अनाज्ञाकारिता के कारण सजा देते है।

      परमेस्वर की सजा उनकी अनाज्ञाकारिता की सजा थी।परमेश्वर आदम और हवा दोनों को अदन की वाटिका से निकाल देते है और अंत में वे मर जाते है।परमेश्वर की इच्छा उन दोनों के लिए थी की वे हमेशा-हमेशा के लिए जीवित रहे लेकीन उनके पापो के कारण वे अदन की वाटिका से निकले गए और अंत में मारे गए। यह बहुत रोमांचक है की पवित्र शास्त्र कहता है की आदम और हवा ने सिर्फ एक गलती की थी जिनके कारण उन्हें न्याए एवं मृत्यु का सामना करना पड़ा।आदम और हवा ऐसा लगता है की अच्छे लोग थे सम्भवतः हम से बहुत अच्छे ।हो सकता है की उन्होंने सेंकड़ो अच्छे काम कीये हो,उन्होंने कीसी का हत्या नहीं कीया ,उन लोगो ने व्यभिचार नहीं कीया न ही कुछ चुराया ,लेकीन उन्होंने सिर्फ एक बार परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी और उसका फल मृत्यु हुआ।कई बार हम लोग सोचते है की हमारा अच्छा काम हमारी बुरे कामो को ढांप देगा और हमारे पाप क्षमा हो जायेंगे,लेकीन पवित्र शास्त्र ऐसा नहीं कहता है

      वादा कीया हुआ उद्धारकर्ता और नए कपड़े : फिर भी परमेश्वर अभी भी आदम और हव्वा से प्यार करते थे। इसलिए परमेश्वर ने उनके पापों को माफ कीए जाने के लिए एक मार्ग बनाया।आदम और हवा के न्याय के बाद परमेश्वर ने सांप(शैतान) का भी न्याय कीया जिसने उन दोनों को बहकाया था।परमेश्वर ने एक वादा कीया की स्त्री के वंशज से एक उद्धारकर्ता आएगा जो शैतान का सिर कुचलेगा,हालांकी शैतान भी उसे चोट पहुँचाएगा।बीते कई सदियों तक परमेश्वर के बहुत से पवित्र लोग आये और उन्होंने भविष्यवाणी की एक उधारकर्ता आएगा और जो सारे दुनिया के पाप को दूर करेगा।तभी परमेश्वर ने कुछ दिलचस्प कीया उन्होंने आदम और हवा के कपड़ो को बदल दिया।परमेश्वर ने आदम और हवा को पत्तो से बने कपडे के बदले उन्हें पशु के चमड़े के बने कपडे पहनाये बेशक, इन कपड़ों को बनाने के लिए,एक जानवर को मरना पड़ा। एक मासूम जानवर की मौत से परमेश्वर ने आदम और हवा के पाप के बदले दाम चुकाया क्योंकी परमेश्वर आदम और हवा से प्यार करते थे।परमेश्वर ने अपने आप को उनके पापों की क्षमा के लिए पहला बलिदान खुद को अर्पण कीया।बाइबिल हमें सिखाती है की खून बहाये बिना पाप की कोई माफी नहीं है(इब्रानियों 9 :22) उस पहले बलिदान के बाद से हमारे पूर्वजों ने अपने सभी पापों को माफ करने के लिए बलिदान अर्पण की है।

      तीसरा भाग : "इसी कारण यीशु मारे गए!" और फिर यीशु ने एक कुंवारी महिला से जन्म लिया जो महिला की वंशज थी। यीशु ने एक निष्पाप जीवन जिया, और महान चमत्कारों का प्रदर्शन कीया। यीशु की मिनिस्ट्री की शुरुआत में, जब यहुन्ना नाम के एक नबी ने यीशु को देखा तो कहा "परमेश्वर के मेमना को देखो।"कौन दुनिया के पापों को दूर ले जाता है। " यह दिलचस्प है की नही? यीशु को परमेश्वर का "मेमना बोला गया।क्यों? क्योंकी एक भेड़ का बच्चा बलिदान के लिए इस्तेमाल कीये जाने वाला एक जानवर है।आपको मेरा सवाल याद है : क्या आप जानते है की येशु ने क्यों कहा था की,"मै जरूर मारूंगा" क्यों की यीशु हमारे पापों का मूल्य चुकाने के लिए परमेश्वर का बलिदान होने के लिए आया था।इसी कारण उन्होंने खुद को यहूदी नेताओं और रोमन सैनिकों के सामने समर्पण कीया ताकी वे क्रूस पर चढ़ाय जा सके।वो हमारे और आपके पापो के लिए एक अंतिम बलिदान था परमेश्वर की तरफ से।जब येशु मर रहा था तब उसने कहा "समाप्त हुआ" इसका अर्थ था की हमारे पापों का मूल्य चूकता हो गया। तब यीशु ने सिर झुकाया और मर गया। लेकीन तीसरे दिन, यीशु मरे हुओं में से जी उठा, जैसा की उन्होंने वादा कीया था।अगले 40 दिनों तक, यीशु ने अपने 500 अनुयायियों से अधिक के सामने दिखाई दिए, और फिर स्वर्ग पर उठा लिए गए। हम सब जानते है की एक दिन येशु पृथवी पर आयेंगे और सारे मनुष्य जातियों का न्याय करेंगे।

      निष्कर्ष: इसलिए मुझे पता है की मेरे पाप क्षमा कीये गए है।

      बाइबिल हमें सिखाती है की अगर हम अपने जीवन को येशु मसीह को समर्पित करते है एकमात्र परमेश्वर के रूप में और यह बिस्वास करते की उन्होंने हमारे पापों के लिए अपना बलिदान दिया और परमेश्वर ने उन्हें मुर्दो में से जी उठाया तब हमारे पाप भी क्षमा कीये जायेंगे।

      इसलिए मुझे पता है की मेरे पाप क्षमा कीये गए है। ये सच है की हम अपने पापों का मूल्य नहीं चूका सकते लेकीन परमेश्वर ने हमारे लिए एक मार्ग बनाया है जिससे हमारे पाप प्रभु येशु मसीह के बलिदान से क्षमा हो सकते हैं,

      1. पांचवां भाग : एक निर्णय पे पहुंचे

      प्रभावी सुसमाचार प्रचार वचन बाटने के तुलना में अधिक है।यह मसीह के लिए लोगों में अग्रणी है।यीशु ने आपने लोगों का नेतृत्व कीया। उन्होंने कहा, "मेरा पालन करें।", उनमें से लोगो को सिर्फ यीशु नहीं मिले बल्कि मसीह ने उन्हें बुलाया, और बहुतों को उद्धारकर्ता भी मिले।

      आपको यहाँ उनके लिए दर्शन रखने की ज़रुरत पड़ सकती है की अगर वे येशु के उद्धार का वरदान ग्रहण करें और उसका अनुसरण करना शुरू करें तो उनका जीवन कैसा होगा।

      परिवर्तन #5: पूछें: "क्या आप विस्वास करते हैं की येशु हमारे पापों के लिए बलिदान के रूप में मारा और मृतकों में से जी उठा?"

      पूछें: जो सन्देश मैं आपके साथ बाँट रहा हुँ क्या आप उस पर विश्वास करते है? अगर ऐसा है तो यह समय है की आप अपने आपको मसीह को सौंप दें, क्या ऐसा नहीं है?" उन्हें यह जान ने में मदद करें की यह कहने की बाद उन्हें क्या करना चाहिए ? "लोग अपना मसीह पर विश्वास आम तौर पर प्रार्थना के द्वारा दर्शाते हैं।"

      पूछें: क्या आप इस उद्धार के मुफ्त उपहार को ग्रहण करने और येशु के पीछे चलने के विषय में अभी प्रार्थना करना चाहेंगे?

      आम तौर पर आने वाले तीन जवाब :हाँ, ना ,या मैं नहीं जनता।

      1. अगर वह "हाँ" (अगर वो सुसमाचार पर विश्वास करता है):

      A यह सुनिश्चित कर लें की पूछने पर वो समझे, "तो आप यह विश्वास करते हैं की येशु हमारे पापों के लिए मरा और मृतकों में से जी उठा?"

      B रोमियों 10: 9-10 पढ़ें।

      C समझाएं की उद्धार पाने की योगयता येशु को प्रभु मानना और सुसमाचार पर विश्वास करना है।

      D विश्वास की तरफ मार्गदर्शन यह कहते हुए करें, " आम तौर पर लोग खुद को येशु के प्रति समर्पित प्रार्थना के द्वारा करते हैं। कैसा रहेगा की मैं आपको येशु के प्रति खुद को समर्पित करने के लिए प्रार्थना में अगुआई करू।"

      2. अगर वह ना कहता है, ( अगर वह सुसमाचार को ग्रहण नही करता)

      A सुसमाचार को फिर से संक्षेप में बताएं, उसके बाद विषय को बदलने में स्वतंत्र महसूस करें।

      3. अगर वह "मैं नही जनता" कहता है तो उसने सुसमाचार को ग्रहण कीया है पर येशु को ग्रहण के लिए तैयार नही है।

      A. अगर समय हो तो तुरंत उसे केन और हाबिल की कहानी बताएं, और इस बात पर ज़ोर दें की परमेश्वर ने पशु के बलिदान को ग्रहण कीया था।